NIOS CLASS 12 HINDI NOTES FOR EXAM





NIOS CLASS 12 HINDI NOTES FOR EXAM


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Q. 'वह तोडती पत्थर' कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए |

यह कविता भाव-सौन्दर्य की दृष्टि से बहुत संपन्न है | सड़क पर पत्थर तोडती मजदूरनी का वर्णन सरल शब्दों में परिवेश का निर्माण करता है | वह छायाहीन पेड़ के निचे बैठी है | वह साधारण श्रमिक परिवार की है | कवि ने उसके शील एवं सच्चरित्र को उभारा है | इस कविता में मजदूर और संपन्न वर्ग के आर्थिक वैषम्य का प्रभावी चित्रण किया है | मजदूरो का जीवन कठिन परिस्थितियों के मध्य गुजरती है | कवि की सहज सहानुभूति श्रमिक वर्ग के साथ व्यजित हुई है | कवि हृदयहीन, पूंजीवादी व्यवस्था को ध्वस्त होते हुए देखना चाहता है |

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Q. मौन कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए |

मौन कविता सुप्रसिद्ध कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित है | प्रस्तुत कविता में कवि अपने जीवन पथ की सहयात्री, सहचरी, प्रियतमा से अनुरोध करता है कि वर्तमान जीवन पथ में अनेक कष्टानुभूतियाँ है | ऐसी विषम परिस्तिथियों में हम दोनों शांत और मौन रहकर जीवन का आनंद ग्रहण करें | वाणी को विराम देकर मौन द्वारा जीवन के माधुर्य का अनुभव किया जा सकता है | कवि की मान्यता है कि सरल जीवन द्वारा जीवन के उत्थान-पतन, दुःख-सुख को सहज रूप से सहन किया जा सकता है |


Q. वह तोडती पत्थर कविता के आधार पर शोषक और शोषित के जीवन का अन्तर बताइए |

वह तोडती पत्थर कविता निराला की प्रगतिवादी कविता है | इस कविता में कवि ने शोषक और शोषित के जीवन का अन्तर स्पष्ट किया है | शीषक या धनी वर्ग शीतल वृक्षों के मध्य बने बड़े – बड़े प्रसादो मे रहते है तथा अपने सुखो के अलावा किसी के दुखों की चिंता नही करता | वे तो केवल उनके परिश्रम का लाभ उठाते है | शोषित लोग विषम परिस्थितियों में भी परिश्रम करते रहते है | वह मजदूर स्त्री भी विषम और भीषण गर्मी में पत्थर तोड़ रही है और सामने की अट्टालिकाएं उसे अपनी ओर आकर्षित नही कर पा रही थी |



Q. मैं नीर भरी दुःख की बदली’ कविता का केंद्रीय भाव लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए |

इस कविता के केंद्रीय भाव यह है कि मानव जीवन एक जल से पूर्ण बदली के समान है | इसमें विरह – वेदना समाई रहती है जो आंसुओं के रूप में प्रकट होती है | यह जीवन क्षणभंगुर है | यह आज है, कल नही होगा | संसार पर उसके आने – जाने से कोई अंतर पड़ने वाला नही है | यहाँ केवल स्मृतियाँ शेष रह जाती है | इस संसार में मनुष्य का कोई भी कोना अपना नही होता | यहाँ आना – जाना लगा रहता है | जीवन वेदना – पीड़ा से परिपूर्ण है |





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