NIOS CLASS 10 SOCIAL SCIENCE (213) CHAPTER - 19 (राज्य स्तर पर सरकार) IMPORTANT NOTES IN HINDI FOR EXAM

 


NIOS CLASS 10 SOCIAL SCIENCE (213) CHAPTER - 19 IMPORTANT NOTES IN HINDI FOR EXAM


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राज्य स्तर पर सरकार


भारत एक संघ है | यहाँ पर दोहरा या दो-स्तरीय शासन व्यवस्था पायी जाती है | सरकार के तीनों अंग- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका शासन के दोनों स्तरों, केन्द्रों और राज्यों में कार्यरत है |

मुख्यमंत्री और मंत्रीपरिषद् के कार्य
मुख्यमंत्री राज्य में सरकार का वास्तविक मुखिया होता है | उसके निम्न कार्य प्रकार से है :
  • यह मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा विभिन्न मंत्रालयों के काम काज में समन्वय स्थापित करता है|
  • राज्य के लिए नीतियों और कार्यक्रम बनाने में मार्गदर्शन करता है |
  • मंत्रीपरिषद् और राज्यपाल के बीच संपर्क सूत्र का कार्य करता है |
  • किसी मंत्री द्वारा लिए गए निर्णय को मंत्रीपरिषद् के विचार विमर्श के लिए रखता है |

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राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच सम्बन्ध
  • राज्य स्तर की कार्यपालिका का गठन राज्यपाल, मुख्यंत्री और उसके मंत्रिपरिषद से मिलकर होता है | राज्यपाल अपनी समस्त कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियों का प्रयोग मुख्यमंत्री के परामर्श पर करता है |
  • मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है | मुख्यमंत्री विधानसभा में बहुमत दल का नेता होता है |
  • मंत्री मंडल के समस्त निर्णयों से मुख्यमंत्री  राज्यपाल को अवगत कराता है |
  • वास्तविक रूप से कार्य पालिका सम्बंधी शक्तियों का प्रयोग मुख्यमंत्री और उसकी मंत्रिपरिषद द्वारा किया जाता है | राज्यपाल केवल नाममात्र का अध्यक्ष है लेकिन कुछ परिस्थितियों में विशेषकर राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति में वह प्रभावपूर्ण ढंग से अपनी शक्तियों का प्रयोग करता है | इस प्रकार स्वैच्छिक शक्तियां कुछ परिस्थितियों में राज्यपाल को वास्तविक कार्यपालिका के रूप में कार्य करने का मौका देती है |

मुख्यमंत्री की स्थिति
वे राज्य कार्यपालिका का वास्तविक अध्यक्ष होता है | वह नीति निर्धारण करता है तथा मंत्रिपरिषद का मार्गदर्शन करता है | यदि उसके दल का विधानसभा में स्पष्ट बहुमत होता है तो मुख्यमंत्री की स्थिति और भी अधिक मजबूत हो जाती है | जब कि गठबंधन सरकार में उसकी भूमिका पर कई प्रतिबन्ध लग जाते है | गठबंधन के सहयोगी उस पर अपनी कई इच्छाएं थोप देते है जो उसे पूरी करनी होती है |

राज्य विधानसभा के कार्य
·         विधायी कार्य
  • राज्य विधानसभा राज्य सूचि के विषयों पर कानून बनाता है  |
  • साधारण विधेयक दोनों में से किसी भी सदन में पेश किए जा सकते है जबकि धन विधेयक पहले केवल विधानसभा में ही पेश किया जा सकता है |
·         कार्यपालिका पर नियंत्रण
    राज्य विधानसमंडल प्रश्न व पूरक प्रश्न पूछकर, स्थगन प्रस्ताव, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से कार्यपालिका पर नियंत्रण रखता है | 
·         चुनाव सम्बन्धी कार्य
    विधान सभा के सदस्य राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव करते है तथा राष्ट्रपति के चुनाव में भी मतदान करते है |
·         संविधान संशोधन सम्बन्धी कार्य
    संविधान के कुछ विशेष प्रावधानों में संशोधन करने के लिए कम से कम आधे राज्यों के विधानमंडल की स्वीकृति अनिवार्य होती है |

उच्च न्यायलय का संगठन
प्रत्येक उच्च न्यायलय में एक मुख्य न्यायाधीश और कुछ न्यायाधीश होते है | उच्च न्यायलय के मुख्य तथा अन्य न्यायाधीशो की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है | उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह लेता है जबकि अन्य न्यायाधीशो की नियुक्ति करते समय वह सम्बंधित न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्यपाल की सलाह लेता है |    
    भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर उच्च न्यायलय के न्यायाधीशों को एक उच्च न्यायलय से दुसरे में स्थानांतरित किया जा सकता है | उच्च न्यायलय का न्यायाधीश बनने के लिए आवश्यक योग्यता इस प्रकार है  -
  •   वह भारत का नागरिक होना चाहिए |
  • भारत के किसी भी क्षेत्र में कम से कम दस वर्ष तक न्यायिक अधिकारी के रूप में कार्य कर चूका हो या कम से कम दस वर्ष तक लगातार एक या उससे अधिक उच्च न्यायालयों में अधिवक्ता के रूप में कार्य कर चूका हो |
    उच्च न्यायलय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बने रह सकते है | उच्च न्यायलय के न्यायाधीशों को संसद द्वारा दुराचार और अक्षमता की पुष्टि पर महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है |

उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार
  • उच्च न्यायालय को प्रारंभिक और अपीलीय क्षेत्राधिकार प्राप्त है |
  • मौलिक अधिकारोंन को प्रभावी करने तथा अन्य क़ानूनी अधिकारों के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय प्रारंभिक क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है |
  • उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध भी अपील की सुनवाई करता है |
  • दीवानी मामलों में जिला न्यायालय के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है |
  • फौजदारी मामलों  में सत्र न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है जहाँ पर सात वर्ष से अधिक की कारावास का दंड दिया गया हो |
  • उच्च न्यायलय एक अभिलेख न्यायालय भी होता है  सभी अधीनस्थ न्यायालयों को उच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप निर्णय देना होता है |
  • उच्च न्यायालय न्यायालय की अवमानना के मामले में दंड दे सकता है |


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