NIOS CLASS 10 SOCIAL SCIENCE (213) CHAPTER - 20 IMPORTANT NOTES IN HINDI FOR EXAM
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संघीय स्तर पर शासन
राष्ट्रपति की शक्तियां
राष्ट्रपति भारत का राज्याध्यक्ष होता है | उसका पद भारत में सर्वोच्च है | भारत सरकार के
कार्यपालिका सम्बन्धी समस्त कार्य उसी के नाम पर किए जाते है | राष्ट्रपति की
शक्तियां निम्नलिखित है :
- कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियां – भारत के राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद्, भारत का महान्यायवादी, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, सर्वोच्च न्यायलय का मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों, सेना के तीनों अंगों के मुखिया की नियुक्ति करने की शक्तियां प्राप्त है |
- विधायी शक्तियां - राष्ट्रपति संसद का अभिन्न हिस्सा है | वह संसद के सत्र बुलाता है तथा उनके सत्रावसान की घोषणा करता है | संसद द्वारा पारित कोई भी विधेयक उसकी सहमति के बिना कानून नही बन सकता | राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है |
- वित्तीय शक्तियां – लोकसभा में कोई भी धन विधेयक बिना राष्ट्रपति की पूर्व सहमति के पेश नही किया जा सकता है | वार्षिक बजट राष्ट्रपति की संस्तुति पर ही लोकसभा में पेश किया जाता है | वह हर पांच वर्ष मे वित्त आयोग का गठन करता है |
- न्यायिक शक्तियां – राष्ट्रपति को न्यायालय द्वारा दण्डित व्यक्ति की घोषित सजा को कम करने, बदलने या क्षमा दान करने की शक्ति प्राप्त है |
प्रधानमंत्री के कार्य
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता मे मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सहायता एवं सलाह के अनुसार ही राष्ट्रपति अपने अधिकारों का उपयोग करता है, तथा उस सलाह को मानना आवश्यक होता है|
- प्रधानमंत्री की सिफारिश पर ही राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद के सदस्यों को नियुक्ति करता है तथा उनके बीच विभागों का विभाजन करता है |
- वह मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता करता है |
- ·वह मंत्रीपरिषद् तथा राष्ट्रपति के बीच कड़ी का काम करता है |
- ·वह केवल संसद का ही नहीं बल्कि राष्ट्र का नेता भी होता है |
- ·वह योजना आयोग का अध्यक्ष होता है |
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां
संकटकालीन व असाधारण परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रपति को
संविधान द्वारा कुछ आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई है | जो निम्नलिखित है :
- युद्ध या बाहरी आक्रमण की स्थिति में अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान उपयोग में लाई जाने वाली शक्तियां |
- राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति, अनुच्छेद 356 के अन्तर्गत राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा के सन्दर्भ में उपयोग की जाने वाली शक्तियाँ |
- गंभीर वित्तीय संकट की स्थिति में, अनुच्छेद 360 के अंतर्गत वित्तीय आपातकाल के दौरान उपयोग में लाई जाने वाली शक्तियाँ
राज्य सभा का गठन/संगठन
राज्य सभा की सदस्य संख्या 250 से अधिक नही हो सकती | 238 सदस्य सजी सभा के
लिए राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते है तथा 12\ सदस्यों
को राष्ट्रपति कला, साहित्य, समाज सेवा आदि क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने
वाले व्यक्तियों में से मनोनीत करता है | राझ सभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधान
सभाओं के सदस्यों द्वारा अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा किया जाता है |
लोक सभा का कार्यकाल पांच वर्ष
का होता है जबकि राज्य सभा के सदस्य छः वर्षों के लिए होता है | लोक सभा को
निश्चित कार्यकाल से पहले भी भंग किया जा सकता है, किन्तु राज्य सभा एक स्थायी सदन
है | इसके 1/3 सदस्य प्रति दो वर्ष में सेवानिवृत्त होते है | राज्य सभा संसद का
उच्च सदन है |
लोकसभा का गठन/संगठन
लोकसभा के सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है | इसकी
सदस्य संख्या 550 से अधिक नही हो सकती | इनमे से 530 सदस्य राज्यों से तथा 20
सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों से प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते है | यदि राष्ट्रपति को
लगता है कि एंग्लो इंडियन समुदाय को समुचित प्रतिनिधित्व नही मिल पाया है, तो ऐसे
स्थिति में वह इस समुदाय से दो सदस्यों को लोकसभा में मनोनीत कर सकता है | लोक
सभा, संसद का निम्न सदन कहलाता है |