NIOS CLASS 10 HINDI (201) CHAPTER - 17 (बीती विभावरी जाग री) IMPORTANT CHAPTER WISE NOTES FOR EXAM

 


NIOS CLASS 10 HINDI (201) IMPORTANT CHAPTER WISE NOTES FOR EXAM



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बीती विभावरी जाग री


Q. बीती विभावरी जाग री कविता का मूल विषय क्या है ?

इस कविता में प्रकृति – चित्रण के माध्यम से राष्ट्रीय जागरण के लिए उद्बोधन किया गया है |इसमें कवि ने अपनी सखी को जगाने का प्रयास किया है | वह भोर के माध्यम से अपनी बात को स्पस्ट करता है |

 

Q. बीती विभावरी जाग री कविता में किस समय का वर्णन है ?

बीती विभावरी जाग री कविता में श्री जयशंकर प्रसाद जी ने सुबह(भोर) का वर्णन किया है और सभी तत्वों से भरपूर यह वर्णन अति मनोहारी एवं सुन्दर रूप से प्रस्तुत किया गया है |

 

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Q. अंबर पन-घट, तारा-घट, ऊषा- नागरी का क्या अर्थ है ?

अंबर पन-घट का अर्थ है – आकाश रूपी पन – घट, तारा – घट का अर्थ है – तारे रूपी घड़े | उषा नागरी आशय है – उषा अर्थात सबह रूपी नायिका प्रकृति के क्षेत्र में अंबर तारा और ऊषा पर सामान्य जीवन में पन-घट घड़ा और ऊषा अर्थात नायिका का संयोग प्रस्तुत किया गया है |

 

Q. भोर में किन बातों की कवि ने बताने का प्रयास किया है ?

कवि ने भोर की निम्न प्रमुख बातों को बताने का प्रयास किया है –

  •   घड़ों का पानी से भरना
  •  तारों का छिपना
  •  चिड़ियों का चहचहाना
  •   पेड़ों की पत्तियों का हिलना

 

Q. बीती विभावरी जाग री कविता में जगाने का क्या भाव है ?

कवि श्री प्रसाद प्रकृति के साथ – साथ राष्ट्र कवि भी है | जगाने का तात्पर्य है कि सतर्क, जागरूक, कर्मठ, कर्मशील हो जाने का कवि आह्वान कर रहा है, क्योंकि राष्ट्रीय भावनाओं के उदय का समय है और अब आलस्य, उन्माद, अकर्मण्यता का समय नही है  | देश हित में राष्ट्र कल्याण में अब जागना ही अनिवार्य है |


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